अभिप्रेरणा का अर्थ, परिभाषा, प्रकार और सिद्धांत

आज के इस आर्टिकल में हम बात करेंगे कि अभिप्रेरणा क्या है? अभिप्रेरणा का अर्थ क्या है? अभिप्रेरणा की परिभाषा, अभिप्रेरणा का अर्थ एवं परिभाषा, अभिप्रेरणा के प्रकार तथा अभिप्रेरणा के सिद्धांत कौन-कौन से हैं? यह बाल मनोविज्ञान (Child Psychology) का एक प्रमुख भाग है। छात्रों को अभिप्रेरणा नामक इस टॉपिक का अध्ययन अनिवार्य है।

अगर एक पंक्ति में कहा जाए तो अभिप्रेरणा एक प्रकार का प्रोत्साहन ही है। छात्रों को ऐसे प्रोत्साहन की बहुत आवश्यकता होती है। हर प्रकार की अभिप्रेरणा का प्रभाव छात्रों के जीवन पर पड़ता है। और उनका भविष्य उनको मिलनी वाली अभिप्रेरणा पर निर्भर करता है।

अभिप्रेरणा का अर्थ एवं परिभाषा

अभिप्रेरणा का अर्थ

अभिप्रेरणा अंग्रेजी शब्द Motivation (मोटिवेशन) का हिंदी पर्याय है। जिसका अर्थ प्रोत्साहन होता है। Motivation लैटिन भाषा के Motum (मोटम) शब्द से बना है। जिसका अर्थ है Motion (गति)। अतः कार्य को गति प्रदान करना ही अभिप्रेरणा है। यही अभिप्रेरणा का अर्थ है।

अभिप्रेरणा की परिभाषाएं

कुछ मनोवैज्ञानिकों में अभिप्रेरणा की परिभाषा अपने अपने नजरिये से दी है। आइये पढ़ते हैं अभिप्रेरणा की इन परिभाषाओं को। –

गुड के शब्दों में अभिप्रेरणा की परिभाषा

“प्रेरणा कार्य को आरम्भ करने, जारी रखने और नियमित करने की प्रक्रिया है।”

“Motivation is the process of arousing, sustaining and regulating activity.” – Good

एवरिल के अनुसार अभिप्रेरणा की परिभाषा

“अभिप्रेरणा का तात्पर्य है- सजीव प्रयास”

“Motivation means vitalized effort.” – Averill

पीटी यंग के शब्दों में अभिप्रेरणा की परिभाषा

प्रेरणा व्यवहार को जागृत करने, क्रिया के विकास को सम्पोषित करने और क्रिया के तरीकों को नियमित करने की प्रक्रिया है।

“Motivation is the process of arousing action, sustaining the activities in the process and regulating the pattern of activity.” – P• T• Young

HindiMerijaan.com वेबसाइट के अनुसार अभिप्रेरणा की परिभाषा

अभिप्रेरणा एक प्रकार का आत्मविश्वास है जो स्वयं या दूसरे के माध्यम से मिलता है जिसमे व्यक्ति को लगता है कि हाँ वह चाहे तो क्या नही कर सकता। और गलत तरीके से आत्मविश्वास मिलने पर उसे लगता है कि वह कुछ नही कर सकता।

अभिप्रेरणा के प्रकार (Types of Motivation)

अभिप्रेरणा का अर्थ, परिभाषा, प्रकार और सिद्धांत

अभिप्रेरणा का अर्थ और परिभाषा जानने के पश्चात अभिप्रेरणा के प्रकार को जान लेते हैं।

अभिप्रेरणा 2 प्रकार की होती है। –

  1. सकरात्मक अभिप्रेरणा
  2. नकारात्मक अभिप्रेरणा

अभिप्रेरणा के प्रकार

1- सकारात्मक अभिप्रेरणा

जैसा कि नाम से ही पता चल रहा है कि सकारात्मक अभिप्रेरणा। अर्थात ऐसी अभिप्रेरणा जिसमे कुछ अच्छा हो। इसे आंतरिक अभिप्रेरणा भी कहते हैं। इसमे बालक या व्यक्ति को अंदर से प्रेरणा मिलती है कि वो चाहे तो क्या नही कर सकता। और इस मनोबल के कारण वह बालक खुद का, परिवार का, देश का और समाज का नाम रौशन कर सकता है।

जैसे किसी बालक ने कोई गलती कर दी तो शिक्षक उसे कहता है कोई बात नही शुरुआत में ऐसी गलतियां स्वाभविक हैं तुम इसे एक दो बार में बिल्कुल सुधार लोगे। तुमने प्रयास किया यही बहुत बड़ी बात है। शाबाश बच्चे। चलो फिर से करके दिखाओ।

2- नकरात्मक अभिप्रेरणा

नकारात्मक अभिप्रेरणा, सकरात्मक अभिप्रेरणा की एकदम उलट है। अर्थात इसमे बालक को प्रेरणा तो मिलती है पर वह आंतरिक नही होती बल्कि बाह्य होती है। और बाह्य प्रेरणा का ऐसा है कि वो ज़्यादा समय तक नही रहती। इसमे दंड, सजा जैसी नकारात्मक प्रेरणा भी आती हैं।

जैसे सकारात्मक प्रेरणा के उदाहरण में अध्यापक ने छात्र को आंतरिक रूप से प्रेरित किया। यहाँ क्या होगा कि अध्यापक छात्र को सजा देगा या पिटाई कर देगा कि तुमने गलती कैसे की? मैने पढ़ाया तो था। तुम पढ़ाई नही करते। तुम एक होशियार विद्यार्थी नही हो। तुम ऐसे ही रहोगे हमेशा, रिक्शा चलाओगे, सब्जी बेचोगे यही सब करोगे बस।

अब ऐसे में छात्र को लगेगा कि वह सच मे कुछ नही कर सकता है। जैसा कि HINDIMERIJAAN.COM वेबसाइट ने भी ऊपर परिभाषित किया था।

अभिप्रेरणा के सिद्धांत (Principles of Motivation)

अभिप्रेरणा के कुछ प्रमुख सिद्धांत इस प्रकार है। –

1- मूल प्रवृति का सिद्धांत

इस सिद्धान्त के अनुसार मूल प्रवृत्तियाँ अभिप्रेरणा में सहायता करती हैं। अर्थात मनुष्य या बालक अपने व्यवहार का नियंत्रण और निर्देशन मूल प्रवृत्तियों के माध्यम से करता है।

2- प्रणोद का सिद्धांत

इसे सिद्धांत के अनुसार, मनुष्य को जो बाहरी अभिप्रेरणा मिलती है अर्थात बाह्य उद्दीपक से जो अभिप्रेरणा मिलती है वो प्रणोद का कारण है। अर्थात अभिप्रेरणा से प्रणोद की स्थिति पाई जाती है जो शारीरिक अवस्था या बाह्य उद्दीपक से उतपन्न होती है।

3- विरोधी प्रक्रिया सिद्धान्त

इसे सिद्धांत का प्रतिपादन सोलोमन और कौरविट ने किया था। यह एकदम सिंपल सा सिद्धांत है। इसको मोटा मोटा समझे तो हमें वही चीज़ ज़्यादा प्रेरित करती है जो हमे सुख देती है। और दुख देने वाली चीज़ो से हम दूर रहते हैं।

अब इसे किताबी भाषा के समझें तो सुख देने वाले लक्ष्यों को प्राप्त करने हेतु हम प्रेरित रहते हैं जबकि अप्रसन्न करने वाले लक्ष्यों से दूर।

क्योंकि इस सिद्धांत में सुख, दुख, हर्ष, पीड़ा आदि सम्मिलित हैं तो इसी वजह से प्रेरणा के इस सिद्धांत को संवेग का सिद्धांत भी कहा जाता है।

4- मरे का अभिप्रेरणा सिद्धान्त

मरे ने इस सिद्धांत में अभिप्रेरणा को आवश्यकता कहा है। अर्थात मरे इस सिद्धांत को आवश्यकता के रूप में बताते हुए कहते हैं कि प्रत्येक आवश्यकता के साथ एक विशेष प्रकार संवेग जुड़ा होता है। मरे का अभिप्रेरणा का यह सिद्धांत बहुत सराहा गया। छात्र इसका अध्ययन और यहां तक कि इस पर रिसर्च भी करते हैं।

अभिप्रेरणा की विधियाँ

आइये अभिप्रेरणा की कुछ विधियाँ भी जान ली जाएं।

रुचि (अभिप्रेरणा की विधियां)

हम कोई भी कार्य ऐसा करते हैं जिसमे हमारी रुचि होती है तो हम उसे करते चले जाते हैं। उस दिशा में आगे बढ़ते चले जाते हैं।

अतः अध्यापक को चाहिए कि वह पहले छात्रों की रुचि का पता लगाएं या फिर उनमें रुचि जाग्रत करें। जब छात्रों में रुचि जाग्रत हो जाये फिर पाठ्यवस्तु को उससे relate करते हुए पढ़ाएं। जिससे रुचियों का सम्बंध पाठ्यवस्तु से स्थापित हो जाएगा।

सफलता (अभिप्रेरणा की विधियां)

हम देखते हैं कि जब किसी इंसान को किसी एक कार्य मे सफलता मिल जाती है तो फिर उसकी सफलताओं की लड़ियाँ बन जाती हैं। क्योंकि सफलता से रुचि और बढ़ती है।

अतः शिक्षक को चाहिए कि छात्रों को ऐसे कार्य दे जिसमे उनको सफलता मिलना शुरू हो जाये। जिससे उनकी रुचि और बढ़ेगी। जिससे उन्हें आगे कार्य करने की प्रेरणा मिलती रहेगी।

प्रशंसा (अभिप्रेरणा की प्रशंसा विधि)

छात्रों की प्रशंसा हरदम करते रहना चाहिए जिससे उनमे सकरात्मकता बनी रहे। और वो कार्य को करने के लिए प्रेरित रहें। प्रशंसा तभी होगी जब वो सफल होंगे। और सफल तभी होंगे जब रुचि होगी। अर्थात अभिप्रेरणा की सभी विधियाँ कहीं न कहीं जुड़ी हुई हैं।

खेल (अभिप्रेरणा की खेल विधि)

यह अभिप्रेरणा की खेल विधि छोटे बच्चों के लिए बहुत कारगर है। छोटे बच्चों को खेल के माध्यम से प्रेरित करते हुए शिक्षा देना सबसे बेहतर तरीका माना जाता है।

अभिप्रेरणा के स्रोत

  1. सफलता एवं असफलता
  2. प्रतियोगिता एवं सहयोग
  3. प्रगति का ज्ञान
  4. नवीनता
  5. रुचि

अभिप्रेरणा का अर्थ, परिभाषा, प्रकार, स्रोत, विधियाँ एवं सिद्धांत

फाइनल वर्ड- तो दोस्तों आज के इस आर्टिकल में आपने जाना कि अभिप्रेरणा क्या है? अभिप्रेरणा का अर्थ, अभिप्रेरणा की परिभाषा, अभिप्रेरणा के प्रकार कौन से हैं, अभिप्रेरणा के स्रोत कौन से हैं, अभिप्रेरणा की विधियां और सिद्धांत कौन-कौन से हैं। आपको यह आर्टिकल पसन्द आया हो तो हमारे अन्य आर्टिकल भी देखें।

बाल विकास और शिक्षाशास्त्र महत्वपूर्ण पॉइंट्स नोट्स
बाल विकास एवं शिक्षाशास्त्र one line Important Points part-1
बाल विकास एवं मनोविज्ञान शॉर्ट्स नोट्स
CTET NCERT EVS Notes of class 5th in Hindi part-1

4 thoughts on “अभिप्रेरणा का अर्थ, परिभाषा, प्रकार और सिद्धांत”

Leave a Comment