प्रत्येक व्यक्ति में कुछ ऐसी विशेषताएँ होती हैं, जिनके आधार पर वह परिस्थिति के प्रति विभिन्न प्रतिक्रियाएँ करता इन्हीं प्रतिक्रियाओं को हम एक शब्द में व्यक्तित्व कहते हैं।
व्यक्तित्व से ही व्यक्ति के आकर्षण का पता चलता है। कुछ लोग आशावादी होते हैं, और कुछ निराशावादी यह आपको व्यक्ति के व्यक्तित्व से पता चल जाएगा।
व्यक्तित्व का अर्थ
व्यक्तित्व अंग्रेजी के पर्सनेल्टी शब्द का हिंदी रूपान्तर है, जिसकी उत्पत्ति यूनानी भाषा के पर्सेना शब्द से हुई, जिसका अर्थ है।
पर्सेना शब्द का मतलब नकाब या मुखौटा, और इसका व्यक्ति के व्यक्ति के आंतरिक स्वरूप से कोई लेना देना नहीं था।
लेकिन धीरे-धीरे व्यक्तित्व के अन्तर्गत व्यक्ति के आन्तरिक स्वरूप को भी शामिल कर लिया गया और अब व्यक्तित्व एक तरह से व्यक्ति के शरीरिक गुणों, मानसिक गुणों और सामाजिक गुणों के योग को बताने के लिए प्रयोग किया जाता है।
इसीलिए व्यक्तित्व का अर्थ को हम निश्चित रूप से नहीं समझा सकते हैं, क्योंकि की व्यक्तित्व व्यक्ति के समस्त गुणों, लक्षणों, क्षमताओं, विशेषताओं आदि की संगठित इकाई है, और इसकी व्याख्या करना सम्भव नहीं है।
व्यक्तित्व की परिभाषा
विभिन्न मनोवैज्ञानिकों ने व्यक्तित्व की परिभाषा अपने-अपने ढंग से दी है, सबका व्यक्तित्व की परिभाषा के प्रति अपना-अपना दृष्टिकोण है। विभिन्न मनोविज्ञानिकों द्वारा दी गई व्यक्तित्व की परिभाषा में से यहाँ हम कुछ परिभाषाओं को दे रहे हैं –
डैशियल के अनुसार– व्यक्तित्व व्यक्ति के सभी व्यवहारों का वह समायोजित संकलन है, जो उसके सहयोगियों में स्पष्ट रूप से दिखलायी दे।
एलपर्ट के अनुसार – व्यक्तित्व , व्यक्ति में उन मनोदैहिक अवस्थाओं का गत्यात्मक संगठन है , जिनके आधार पर व्यक्ति अपने परिवेश के साथ समायोजन स्थापित करता है।
ड्रेवर के अनुसार – के दैहिक , मानसिक , नैतिक तथा सामाजिक गुणों के गतिशील और सुसंगठित संगठन के लिए , व्यक्तित्व शब्द का प्रयोग किया जाता है।
बीसेंज एवं बीसेंज के अनुसार – व्यक्तित्व, मनुष्य की आदतों, दृष्टिकोणों और लक्ष्यों का संगठन है और प्राणीशास्त्रीय, सामाजिक एवं सांस्कृतिक कारकों के संयुक्त कार्य से उत्पन्न होता है।
बिग तथा हण्ट के अनुसार – किसी व्यक्ति के समस्त व्यवहार – प्रतिमानों और उसकी विशेषताओं का योग ही उसका व्यक्तित्व है
वैलन्टाईन के अनुसार – व्यक्तित्व जन्मजात और आर्गेन प्रवृत्तियों का योग है।
बोरिंग, लैंगफील्ड तथा वैल्ड के अनुसार – व्यक्तित्व से अभिप्राय है, व्यक्ति का अपने परिवेश के साथ स्थायी तथा अपूर्व समायोजन।
मॉटर्न के अनुसार – व्यक्तित्व, व्यक्ति के जन्मजात तथा अर्जित स्वभाव , मूल – प्रवृत्तियों , भावनाओं तथा इच्छाओं का योग होता है।
वारेन के अनुसार – व्यक्तित्व व्यक्ति का सम्पूर्ण मानसिक संगठन है, जो उसके विकास की किसी भी अवस्था में होता है।
मनु के अनुसार – व्यक्ति के सभी पक्षों का एक विशिष्ट संकलन होता है , जो उसके सम्पूर्ण रूप को कुछ पक्ष , अन्यों की अपेक्षा अधिक विशिष्टता प्रदान करते है।
थार्प तथा शमुलर के अनुसार – व्यक्तित्व एक जटिल तथा एकीकृत प्रक्रिया है।
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