शब्द विचार, शब्द की परिभाषा, शब्दों का वर्गीकरण, पद की परिभाषा

इस पोस्ट में आप शब्द विचार की परिभाषा और शब्दों के भेद के बारे में जानेगें। इस लेख में शब्द और पद में अंतर के बारे में भी बताया गया है।

शब्द की परिभाषा

दो या दो से अधिक वर्णो से बने ऐसे समूह को ‘शब्द’ कहते है, जिसका कोई सार्थक अर्थ निकल रहा हो। दूसरे शब्दों में वर्णों के सार्थक ध्वनि समूह को शब्द कहते हैं।

पद की परिभाषा

जब कोई वर्ण समूह अकेला ही प्रयुक्त होता है तब तो वह शब्द कहलाता है परन्तु जब किसी वर्ण समूह का प्रयोग किसी वाक्य में किया जाता है एवं समूहों से वह अपना संबंध स्थापित कर लेता है, तब वह पद कहलाता है, जैसे ‘पुस्तक’ एक शब्द है, और “राम पुस्तक पढता है।” इस वाक्य में ‘पुस्तक’ पद है।

शब्दों का वर्गीकरण

हिंदी व्याकरण में शब्दों का वर्गीकरण निम्न चार आधारों पर किया जाता है –

  1. उत्पत्ति या स्त्रोत के आधार पर शब्दों का ववर्गीकर
  2. व्युत्पत्ति या रचना के आधार पर शब्दों का वर्गीकरण
  3. अर्थ के आधार पर शब्दों का वर्गीकरण
  4. रूप परिवर्तन के आधार पर शब्दों का वर्गीकरण

1. उत्पत्ति या स्त्रोत के आधार पर

उत्पत्ति या स्त्रोत के आधार पर शब्द निम्नलिखित पाँच प्रकार के माने जाते है –

  1. तत्सम शब्द
  2. तद्भव शब्द
  3. देशज शब्द
  4. विदेशज शब्द
  5. संकर शब्द

(I) तत्सम शब्द

तत्सम शब्द तद् + सम के योग से बना है। यहाँ ‘तद्’ का अर्थ ‘उसके’ तथा ‘सम’ का अर्थ ‘समान’ है। अर्थात् प्रत्येक भाषा की एक मूल भाषा होती है, तथा उस मूल भाषा के समान प्रयुक्त होने वाले शब्द तत्सम शब्द कहलाते है।

हिन्दी की मूल भाषा संस्कृत है। अतः ऐसे शब्द जो संस्कृत के समान ही हिन्दी में प्रयुक्त होते हैं, वे शब्द तत्सम शब्द कहलाते हैं। जैसे – आम्र, सूर्य, चन्द्र, क्षेत्र इत्यादि।

(II) तद्भव शब्द

तद्भव शब्द ‘तद्+भव’ के योग से बना है। यहाँ ‘तद्’ का अर्थ ‘उससे’ तथा ‘भव’ का अर्थ ‘उत्पन्न होने वाला’ होता है। अर्थात् ऐसे शब्द जो अपनी मूल भाषा संस्कृत से उत्पन्न होते हैं किन्तु भाषा विकास के कारण आज उनके उच्चारण में अन्तर आ गया है, वे तद्भव शब्द कहलाते है। जैसे – आम, सूरज, चाँद, आग, खेत इत्यादि।

तत्सम और तद्भव शब्दों में अंतर उदाहरण और पहचानने के नियम

(III) देशज शब्द

देशज शब्द ‘देश + ज’ के योग से बना है। यहाँ ‘देश’ का अर्थ ‘क्षेत्र’ (स्थान विशेष) तथा ‘ज’ का अर्थ ‘जन्म देने वाला’ होता है। अर्थात् ऐसे शब्द जो किसी स्थान विशेष के लोगों द्वारा अपनी आवश्यकतानुसार बना लिए जाते है तथा सीमित क्षेत्र में ही प्रयुक्त किए जाते हैं, देशज शब्द कहलाते हैं।

ऐसे शब्द जिनकी उत्पत्ति का कहीं भी उल्लेख प्राप्त नहीं होता है, वे देशज शब्द कहलाते है। जैसे – खिचड़ी, पेट, खचाखच, गड़बड़, रेवड़, थप्पड़, ऊबड़-खाबड़, छोहरा, छोहरी इत्यादि।

(IV) विदेशज शब्द

विदेशज शब्द का शाब्दिक अर्थ होता है – अन्य देश में जन्म लेने वाला। अर्थात् ऐसे शब्द जो भारत देश से भिन्न किसी अन्य देश की भाषा में उत्पन्न हुए थे लेकिन आज उनकों हिन्दी भाषा में शामिल कर लिया गया है, एवं वे हिन्दी में इतने घुल मिल गए है कि उन्हें हिन्दी से पृथक् नहीं किया जा सकता, वे विदेशज शब्द कहलाते है।

अंग्रेजी :- पेन, कॉपी, रजिस्टर, चॉक, बैंक, ड्राफ्ट,चेक, कार, जीप, टेलीफोन, रेडियो, एजेण्ट इत्यादि।

अरबी :- आदमी, औरत, जिला, तहसील, मुहावरा, अलमारी इत्यादि।

फ्रेंच :- कूपन, मीनू, सूप इत्यादि।

जापानी :- रिक्शा, सुनामी, सायोनारा (अलविदा) इत्यादि।

चीनी :- चाय, तूफान, लीची इत्यादि।

(V) संकर शब्द

संकर का शाब्दिक अर्थ होता है – मिश्रण। अर्थात् ऐसे शब्द जो दो भिन्न भाषाओं के शब्दों से मिलकर बने हैं, वे संकर शब्द कहलाते हैं।

  • रेलगाड़ी – अंग्रेजी + हिन्दी
  • जाँचकत्त्रा – हिन्दी + संस्कृत
  • टिकटघर – अंग्रेजी + हिन्दी
  • लाठीचार्ज – हिन्दी + अंग्रेजी
  • अग्निबोट – संस्कृत + अंग्रेजी

2. व्युत्पत्ति या रचना के आधार पर

  1. रूढ़ शब्द
  2. यौगिक शब्द
  3. योगरूढ़ शब्द

(I) रूढ़ शब्द

जो शब्द अपनी स्वतंत्र स्थिति को प्रकट करते हैं, उनमें किसी अन्य शब्द का मेल नहीं होता, वे रूढ़ शब्द कहलाते है। अर्थात् यदि किसी शब्द के टुकड़े करने पर पृथक किये गये शब्दों या शब्दाशों का अलग से कोई अर्थ प्रकट नहीं होता वे रूढ़ शब्द कहलाते हैं, जैसे :- गाय, भैंस, बैल, भेड़, बकरी इत्यादि।

(II) यौगिक शब्द

ऐसे शब्द जो कम से कम दो शब्दों के योग से बने हो, यौगिक शब्द कहलाते है अर्थात् संधि, समास, उपसर्ग व प्रत्यय आदि की प्रक्रिया से निर्मित शब्द यौगिक शब्द कहलाते है। जैसे :- रसोईघर, दूधवाला, स्वागत, प्रत्येक, सामाजिक, परोपकार इत्यादि।

(III) योगरूढ़ शब्द

जब कोई यौगिक शब्द किसी विशेष अर्थ में रूढ़ हो जाता है, तब उसे योगरूढ़ शब्द कहते हैं। बहुव्रीहि समास का प्रत्येक उदाहरण योगरूढ़ शब्द की श्रेणी में शामिल किया जाता है। खग, नग, जलज, जलद, लम्बोदर, वीणापाणि, चक्रपाणि, चतुरानन, गजानन, दशानन, चन्द्रशेखर, चन्द्रमौलि इत्यादि।

3. अर्थ के आधार पर

इस आधार पर भी शब्द निम्नलिखित तीन प्रकार के माने गये है –

  • वाचक शब्द
  • लक्षक शब्द
  • व्यंजक शब्द

(I) वाचक शब्द

वाक्य में प्रयोग किये जाने पर यदि कोई शब्द अपने मुख्य अर्थ, लोक प्रचलित अर्थ, संकेतित अर्थ या शब्दकोषीय अर्थ को प्रकट करता है तो उसे वाचक शब्द कहते है। जैसे :-

  • गधा चर रहा है।
  • राजस्थान हमारा राज्य है।
  • गाय घास खाती है।

(II) लक्षक शब्द

वाक्य में प्रयोग किये जाने पर यदि कोई शब्द अपने मुख्य अर्थ को छोड़कर लक्षणों के आधार पर किसी अन्य अर्थ को प्रकट करता है तो वह शब्द लक्षक शब्द कहलाता है।

  • मोहन गधा है। => मोहन मूर्ख है।
  • राजस्थान वीर है। => राजस्थान के निवासी वीर हैं।
  • रमा गाय है। => रमा शालीन है।
  • बैल गधे से कम गधा है। => बैल गधे से कम मूर्ख है।

(III) व्यंजक शब्द

वाक्य में प्रयोग किए जाने पर यदि एक ही शब्द अलग – अलग संदर्भ में अलग – अलग अर्थ प्रकट करने लगता है तो उसे व्यंजक शब्द कहते है। जैसे :-

आग में जल जाने से क्या होगा ?
• जल (पानी के संदर्भ में) – आग बुझ जाएगी।
• जल (जलना क्रिया के संदर्भ में) – शरीर जल जायेगा।

पानी गए न ऊबरे मोती मानस चून।
• पानी – चमक, कांति (मोती के संदर्भ में)
• पानी – स्वाभिमान (मनुष्य के संदर्भ में)
• पानी – जल – चूने के संदर्भ में।

बलिहारी नृप कूप की, गुण बिन बूँद न देई।
• गुण – हित, बुद्धि (राजा के संदर्भ में)
• गुण – रस्सी (कुआँ)

कौआ उड़ता आकाश में मगर रहता कहाँ ?
• मगर – किन्तु
• मगर – मगरमच्छ

4. रूप परिवर्तन के आधार पर

रूप परिवर्तन के आधार पर शब्द दो प्रकार के होते हैं –

  • विकारी शब्द
  • अव्यय या अविकारी शब्द

(I) विकारी शब्द

वाक्य में प्रयोग किए जाने पर यदि कोई शब्द लिंग, वचन, पुरूष, कारक, काल इत्यादि के अनुसार अपना रूप परिवर्तन कर लेता है, तो वह विकारी शब्द कहलाता है। ये शब्द चार प्रकार के माने जाते है –

  • संज्ञा शब्द – बच्चा, बच्ची, बच्चे
  • सर्वनाम शब्द – मैं, मेरा, मेरी, मेरे
  • विशेषण शब्द – अच्छा, अच्छी, अच्छे
  • क्रिया शब्द – पढ़ता है, पढ़ती है, पढ़ते है

अव्यय या अविकारी शब्द

वाक्य में प्रयोग करने पर लिंग, वचन, पुरूष, कारक, काल आदि के अनुसार यदि किसी शब्द के रूप में कोई परिवर्तन नहीं आता है, तो वह शब्द अविकारी या अव्यय शब्द कहलाता है। ये भी चार प्रकार के होते है –

  • क्रिया विशेषण अव्यय
  • सम्बन्ध बोधक अव्यय
  • समुच्चय बोधक अव्यय शब्द
  • विस्मयादि बोधक अव्यय

(I) क्रिया विशेषण अव्यय

क्रिया विशेषण के उदाहरण निम्नलिखित हैं –

  • घोड़ा तेज दौड़ता है।
  • घोड़ी तेज दौड़ती है।
  • घोड़े तेज दौड़ते है।

(II) सम्बन्ध बोधक अव्यय

सम्बन्ध बोधक अव्यय के उदाहरण निम्नलिखित हैं –

  • हमें सफलता मिलने तक प्रयास करना चाहिए।
  • इस जंगल के पीछे नदी बहती है।
  • मेरे घर के सामने एक बगीचा है।

(III) समुच्चय बोधक अव्यय शब्द

  • राम और श्याम
  • सीता और गीता
  • सरिता और किरण

विस्मयादि बोधक अव्यय

जो शब्द हर्ष, शोक, नफरत, विस्मय, ग्लानी आदि भावो का बोध कराता है उसे विस्मयादिबोधक कहते हैं। जैसे :- हे! , अरे! , हाय! , छि! , आह! इत्यादि। इसका चिन्ह (!) होता है।

  • वाह ! कितना सुन्दर अभिनय है।
  • हे राम ! बहुत बुरा हुआ।

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