बुद्धि का विकास

बुद्धि एक जन्मजात योग्यता है और बौद्धिक क्षमता का निर्धारण भी गर्भाधान के समय ही हो जाता है। यद्यपि जन्म के साथ ही मानव मस्तिष्क में बुद्धि की सारी सम्भावनायें में रहती हैं, लेकिन उनमें से लगभग 50% क्षमता ही विकसित होती है। शेष 50% बौद्धिक क्षमता का विकास वातावरण से भी प्रभावित होता है।

बुद्धि के विकास की प्रमुख विशेषताएं

1. बालक का मस्तिष्क जितना क्षमतावान होगा उसके पास बुद्धि की मात्रा भी उतनी ही अधिक होगी।

2. जन्म के पश्चात् मस्तिष्क के विकास की सम्भावनायें लगभग 4 गुना होती हैं। मस्तिष्क के स्वाभाविक विकास में जितनी ज्यादा बाधा आयेगी, उतना ज्यादा ही उसके बुद्धि की मात्रा पर खराब असर पड़ेगा।

3. मस्तिष्क के सुगम विकास के लिए वातावरण की अनुकूल परिस्थितियां आवश्यक हैं। मस्तिष्कीय सक्रियता के अभाव में बुद्धि के विकास पर प्रतिकूल असर पड़ता है।

4. बुद्धि का विकास व्यक्ति की आयु एवं शारीरिक बुद्धि द्वारा भी नियन्त्रित होता है। व्यक्ति की अलग अलग आयु में विकास की गति बदलती रहती है। बुद्धि के विकास में व्यक्ति के शारीरिक विकास की अहम भूमिका होती हैं, शारीरिक विकास धीमें होने पर व्यक्ति के बुद्धि के विकास की गति भी धीमी पड़ जाती है।

व्यक्ति के 4-5 वर्षों की उम्र में और 8 से 12 वर्ष की अवस्था में बुद्धि विकास की गति तीव्र होती है, जैसा कि आप नीचे दिए गए चित्र में देख सकते हैं–

व्यक्ति की विभिन्न आयु में बुद्धि का विकास

व्यक्तिमें विभिन्न आयु बुद्धि का विकास एक सामान होकर अलग-अलग होता है। यहाँ पर जीवन विभिन्न आयु वर्गों में बुद्धि के विकास को बबताया गया है।

प्रथम 2 वर्ष में बुद्धि का विकास :-

फ्रांसीसी मनोवैज्ञानिक पाईगेट का कथन है कि जब शिशु पैदा होता है तभी से उसमें अपने अनुभवों को संगठित करने की शक्ति होती है, लेकिन किसी शिशु में यह शक्ति कम होती है, और किसी में अधिक। प्रथम दो वर्षों में शिशु का बौद्धिक विकास इस प्रकार प्रकट होता है प्रथम वर्ष – इन्द्रियगोचर गमनात्मक क्रियाएँ
द्वितीय वर्ष – सरल प्रश्नों की समस्याओं को सुलझाना, उसका भाषा विकास, अन्य व्यक्तियों की ओर उसकी प्रतिक्रियाएँ।

2 – 5 वर्ष में बुद्धि का विकास :-

सामान्य मानसिक योग्यता तथा भाषा सम्बन्धी योग्यता इन दोनों में बड़ा घनिष्ठ सम्बन्ध है। पाइगेट के मतानुसार, इन वर्षों में ज्ञानेन्द्रियजनित क्रियात्मक योग्यताएँ ही बुद्धि का आधार हैं। इनका प्रभाव बालक के प्रत्यक्षीकरण और प्रत्यय निर्माण पर पड़ता है। बुद्धि के अन्य तत्त्व हैं – परिस्थिति को ठीक-ठीक समझने की योग्यता, सम्बन्धों को समझना, स्मृति, अच्छी निर्णय शक्ति, समस्या समाधान आदि।

5 – 8 वर्ष में बुद्धि का विकास

इस अवस्था में बालक वस्तुओं में परस्पर समानता और अन्तर को भली – भाँति समझने लगते हैं। इस अवस्था में बालक की स्मृति का भी विकास होता है। 8वर्ष के अधिकांश बालक कहानी पर पूछे गये 6 प्रश्नों में से 5 का उत्तर दे सकते हैं और 16 शब्दों के वाक्य को सुनकर बिना गलती किये उसे दोहरा सकते है। बालक इन वर्षों में पढ़ना – लिखना तथा गणना करना आदि सीखते हैं। इस अवस्था में जो विशेष परिवर्तन होता है वह यह कि बालक ठीक और गलत की धारणाओं पर विचार करने लगते हैं। बालक के सामने जब कोई समस्या आती है, तो पहले वह सोचता है तब निर्णय करता है।

8 – 12 वर्ष में बुद्धि का विकास

इस अवस्था में बालक अपनी मानसिक योग्यताएँ निम्नलिखित रूपों में प्रकट करते हैं 1. समस्यात्मक स्थितियों को सुलझाने की प्रवृत्ति 2. असंगतियों को पहचानना 3. वातावरण में महत्त्वपूर्ण तत्त्वों को पहचानना 4. सामाजिक तथा राष्ट्रीय समस्याओं की जानकारी 5. प्रश्नों का युक्तिपूर्ण उत्तर देना 6. शब्दों का ठीक – ठीक अर्थ समझना तथा सूक्ष्म शब्दों को स्पष्ट करना 7. नियमीकरण 8. भाषा का उचित प्रयोग तथा 9. प्रतिदिन के जीवन से सम्बन्धित सूचनाओं की जानकारी। पूर्व किशोरावस्था की सबसे बड़ी विशेषता है – बालकों को भाववाचक संज्ञाओं का ज्ञान जैसे – न्याय, बदला, दया, परोपकार, दान इत्यादि। 11 वर्ष तक पहुँचते – पहुँचते बालक कहानियों को अपने शब्दों में सुना सकते हैं और कभी – कभी कल्पना के आधार पर उसमें कुछ परिवर्तन भी कर देते हैं।

12 – 18 वर्ष में बुद्धि का विकास

मनोवैज्ञानिक परीक्षणों के अनुसार, किशोरावस्था के आरम्भ में अर्थात् 12 वर्ष की आयु में बालक में निम्नलिखित योग्यताएँ पायी जाती हैं 1. विभिन्न कठिन स्तर के अक्षरों का वह स्पष्टीकरण कर सकता है। 2. बालक के सामने भिन्न – भिन्न वाक्य प्रस्तुत करने पर, उनमें निहित असंगत तथ्यों की ओर वह संकेत कर सकता है। 3. चित्र में प्रदर्शित वस्तुओं के सम्बन्ध में संतोषजनक उत्तर दे सकता है तथा चित्र से सम्बन्धित कहानी भी बना सकता है। 4. अंकों को उल्टा दोहरा सकता है। 5. भाववाचक संज्ञाओं जैसे – साहस, रक्षा, स्नेह आदि को समझा सकता है। 6. वह वाक्यों में रिक्त स्थानों की पूर्ति कर सकता है।
पढ़िए बुद्धि के प्रकार और बुद्धि का सिद्धांत 

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