व्यक्ति के व्यक्तित्व का वर्गीकरण हम कई तरह से कर सकते हैं। क्योंकि की व्यक्तित्व एक बहुत बड़ा, उलझा हुआ और अपने अंदर अनेक प्रकार के गुणों और अवगुणों को समाहित किये हुये है। इसलिए व्यक्तित्व का वर्गीकरण किसी एक वस्तु, अनुशासन या गुण के आधार पर नही किया जा सकता है।
विभिन्न समाज में व्यक्तित्व की परिभाषा, उसको देखने का नजरिया बदलता रहता है, मोटा-मोटा यह समझ लीजिए कि व्यक्तित्व किसी व्यक्ति के प्रभाव या आकर्षण को दिखता है। व्यक्तित्व का वर्गीकरण पढ़ने पढ़ने से पहले व्यक्तित्व का अर्थ और व्यक्तित्व की विशेषताएं नीचे दी गई लिंक से पढ़ सकते हैं–
• व्यक्तित्व का अर्थ और परिभाषा
• व्यक्तित्व की विशेषताएं
भिन्न-भिन्न गुणों और अनुशासनों के आधार पर हम व्यक्तित्व का कई तरह से वर्गीकरण किया गया है। विभिन्न मनोवैज्ञानिकों ने अपने-अपने तरीके से व्यक्तित्व का वर्गीकरण किया है, जिनमें से कुछ को हम यहां बताने जा रहे हैं। व्यक्तिव के वर्गीकरण के प्रकार निम्नलिखित हैं–
- सामाजिक अन्तःक्रिया के आधार पर व्यक्तित्व का वर्गीकरण
- सृजनात्मक शक्ति के आधार पर व्यक्तित्व का वर्गीकरण
- स्वभाव के आधार पर व्यक्तित्व का वर्गीकरण
- मूल्यों के आधार पर व्यक्तित्व का वर्गीकरण
- शारीरिक रचना के आधार पर व्यक्तित्व का वर्गीकरण
- समायोजन के आधार पर व्यक्तित्व का वर्गीकरण
सामाजिक अन्तःक्रिया के आधार पर व्यक्तित्व का वर्गीकरण
मनोवैज्ञानिक जुंग ने व्यक्तित्व का वर्गीकरण करने के लिए व्यक्तियों को उनकी सामाजिक अन्तःक्रिया के स्वरूप को आधार मानकर निम्नलिखित तीन वर्गों में विभाजित किया है–
• अन्तर्मुखी व्यक्तित्व :-
अंतर्मुखी व्यक्तित्व के लोग सोचने, मनन और चिंतन जैसे कार्य में गुणी होते हैं। मनोवैज्ञानिक जुग ने व्यक्तित्व के वर्गीकरण में इस वर्ग में उन व्यक्तियों को शामिल किया है जो आत्म चिंतन आत्म केंद्रित और शांति प्रिय होते हैं।
अंतर्मुखी व्यक्तित्व के व्यक्ति संवेदनशील, कर्तव्यनिष्ठ और मितभाषी होते है। व्यक्तित्व के वर्गीकरण में इस वर्ग के व्यक्ति प्रायः संकोची होते हैं, समाज में अपने विचार रखने में संकोच करते हैं, और सामाजिक व्यवहार में उतना अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाते हैं।
उदाहरण के तौर पर कोई ऐसा लेखक जो लेखन कार्य में बहुत ही अच्छा है, लेकिन वह एक अच्छा वक्ता नहीं है, तो उसको हम अंतर्मुखी व्यक्तित्व का व्यक्ति कह सकते हैं
• बहिर्मुखी व्यक्तित्व :-
व्यक्तित्व के वर्गीकरण में मनोवैज्ञानिक जुंग ने बहिर्मुखी व्यक्तित्व में उन व्यक्तियों को रखा है जो समाजकेन्द्रित, व्यावहारिक, साहसिक, चिन्तामुक्त और आशावादी होते हैं। ऐसे व्यक्ति सामाजिक कार्यों में रूचि लेते हैं और लोकप्रियता प्राप्त करते हैं। जैसे कि एक कुशल वक्ता।
• उभयमुखी व्यक्तित्व :-
जिन व्यक्तियों में अन्तर्मुखी एवं बहिर्मुखी दोनों व्यक्तित्वों के लक्षण लगभग समान रूप से उपस्थित होते हैं, उन्हें मनोवैज्ञानिक जुंग ने व्यक्तित्व के वर्गीकरण में उभयमुखी वर्ग में रखा है।
सृजनात्मक शक्ति के आधार पर व्यक्तित्व का वर्गीकरण
कुछ मनोवैज्ञानिकों ने व्यक्तित्व के वर्गीकरण में व्यक्तियों को उनकी सृजनात्मक शक्ति के आधार पर दो वर्गों में विभाजित किया है।
• सृजनात्मक व्यक्तित्व :-
ऐसे व्यक्ति जिनमें लीक से हटकर चलने, कुछ नया सोचने एवं करने की इच्छाशक्ति होती है, उन्हें सृजनात्मक व्यक्तित्व का व्यक्ति कहा जाता है। सृजनशील व्यक्ति संवेदनशील होते हैं, प्रगतिशील और स्वतन्त्र निर्णय लेने में सक्षम होते हैं।
• असृजनात्मक व्यक्तित्व :-
व्यक्तित्व के वर्गीकरण में असृजनात्मक व्यक्तित्व के व्यक्ति न कभी नया सोचते हैं, और न ही कभी कुछ नया करते हैं। असृजनात्मक व्यक्तियों में स्वतन्त्र चिन्तन की क्षमता नहीं होती, ये दूसरों पर निर्भर करते हैं, और साथ ही रूढ़िवादी भी होते हैं।
स्वभाव के आधार पर वर्गीकरण
मनोवैज्ञानिक गलैन ने व्यक्तियों को उनके स्वभाव के आधार पर निम्नलिखित चार वर्गों में विभाजित किया है।
उग्र स्वभावी व्यक्तित्व :-
इस वर्ग में गलैन ने उग्र स्वभाव वाले व्यक्तियों को रखा है। इस वर्ग के व्यक्तियों को क्रोध बहत शीघ्र आता है ।
चिन्ताग्रस्त व्यक्ति :-
इस वर्ग में गलैन ने चिन्ता से ग्रस्त रहने वाले व्यक्तियों को रखा है। इस वर्ग के व्यक्ति प्रायः उदास रहते हैं और बड़े दब्बू एवं निराशावादी होते हैं।
निरूत्साही व्यक्तित्व :-
इस वर्ग में गलैन ने उत्साहहीन व्यक्तियों को रखा है। इस वर्ग के व्यक्ति प्रायः शान्तप्रिय और आलसी होते हैं।
उत्साही व्यक्ति :-
इस वर्ग में गलैन ने उत्साह से पूर्ण व्यक्तियों को रखा है। इस वर्ग के व्यक्ति आशावादी और क्रियाशील होते हैं।
मूल्यों के आधार पर व्यक्तित्व का वर्गीकरण
मनोवैज्ञानिक स्प्रेजर ने मूल्यों के आधार पर व्यक्तित्व को भी निम्नलिखित छः वर्गों में विभाजित किया है।
सैद्धान्तिक मूल्य :-
व्यक्तित्व की वर्गीकरण में स्पेंजर ने इस वर्ग उन व्यक्तियों को रखा है, जो सदैव ज्ञान प्राप्त करने के इच्छुक रहते हैं, सिद्धान्तों को महत्त्व देते हैं और आदर्शो का पालन करते हैं। ऐसे व्यक्ति प्रायः अव्यावहारिक होते हैं।
आर्थिक मूल्य :-
व्यक्तित्व की वर्गीकरण में स्पेंजर ने इस वर्ग उन व्यक्तियों को रखा है, जो भौतिक सुखों के इच्छुक होते हैं और धन को ज्यादा महत्त्व देते हैं। ऐसे व्यक्ति प्रायः व्यावहारिक होते हैं।
सामाजिक मूल्य :-
व्यक्तित्व की वर्गीकरण में स्पेंजर ने इस वर्ग उन व्यक्तियों को रखा है, जो समाज और सामाजिक सम्बन्धों को अधिक महत्त्व देते हैं। इस वर्ग के व्यक्ति दयालु, त्यागी और परोपकारी होते हैं। ऐसे व्यक्ति बहुत अधिक व्यवहारकुशल होते हैं।
राजनैतिक मूल्य :-
इस वर्ग में स्पेंजर ने उन व्यक्तियों को रखा है, जो राजकार्य और राजसत्ता से जुड़े रहना चाहते हैं। ऐसे व्यक्ति राजनैतिक दाँव-पेंच में बड़े माहिर होते हैं।
धार्मिक मूल्य :-
व्यक्तित्व की वर्गीकरण में स्पेंजर ने इस वर्ग उन व्यक्तियों को रखा है, जो ईश्वर में विश्वास करते हैं और आध्यात्मिक मूल्यों का पालन करते हैं। ऐसे व्यक्ति प्रायः आत्मसन्तोषी एवं परोपकारी होते हैं।
सौन्दर्यात्मक मूल्य :-
व्यक्तित्व की वर्गीकरण में स्पेंजर ने इस वर्ग उन व्यक्तियों को रखा है, जो सौन्दर्य प्रिय होते हैं, ऐसे व्यक्ति प्रायः कला, संगीत, एवं नृत्य आदि में रुचि रखते हैं।
शारीरिक रचना के आधार पर व्यक्तित्व का वर्गीकरण
शैल्डन और क्रेचमर जैसे कई मनोवैज्ञानिकों ने व्यक्तित्व का वर्गीकरण मनुष्य की शारीरिक रचना के आधार पर भी किया है। मनोवैज्ञानिक क्रेचमर के अनुसार व्यक्तित्व का वर्गीकरण निम्नलिखित 3 भागों में किया गया है।
लम्बकाय शारीरिक संरचना :-
इस वर्ग में क्रेचमर ने लम्बे और दुबले-पतले व्यक्तियों को रखा है। ये व्यक्ति प्रायः अलग रहना पसन्द करते हैं और दूसरों की आलोचना में आनन्द लेते हैं, परन्तु अपनी आलोचना सहन नहीं करते हैं।
सुडौलकाय शारीरिक संरचना :-
इस वर्ग में क्रेचमर ने सामान्य कद के स्वस्थ एवं पुष्टकाय व्यक्तियों को रखा है। ऐसे व्यक्तियों का व्यक्तित्व सामान्य होता है और इनमें सामंजस्य की क्षमता भी अधिक होती है।
गोलकाय शारीरिक संरचना :-
गोलकाय शरीरिक संरचना वर्ग में क्रेमचर ने छोटे कद के स्वस्थ व्यक्तियों को रखा है। ये व्यक्ति प्रायः आरामतलब होते हैं और विनोदी स्वभाव के होते हैं।
समायोजन के आधार पर व्यक्तित्व का वर्गीकरण
अधिकतर मनोवैज्ञानिक ने व्यक्तित्व को समायोजन के आधार पर वर्गीकृत किया है। इन मनोवैज्ञानिकों का मत है कि प्रत्येक व्यक्ति जन्म के साथ ही कुछ गुणों एवं शक्तियों के साथ इस दुनिया में आता है, जो उसे उसके माता-पिता से या आनुवंशिक रूप में प्राप्त होती हैं।
लेकिन व्यक्ति को इस दुनिया के साथ सामंजस्य स्थापित करने के लिए कार्य करना पड़ता है, अपने गुणों को बढ़ाना होता है, जिससे वह भाह्य ताकतों से लड़ सके। यह समायोजन का कार्य प्रत्येक व्यक्ति अपने-अपने तरीके से करता है, जिसके आधार पर हम व्यक्तित्व को निम्नलिखित दो भागों में वर्गीकृत कर सकते हैं।
सुसमायोजित समायोजन :-
जो व्यक्ति अपनी आन्तरिक एवं बाह्य शक्तियों सन्तुलन बनाने में समर्थ होते हैं, उन्हें सुसमायोजित व्यक्तित्व वाला व्यक्ति कहा जाता हैं। सुसमायोजित व्यक्तित्व वाले लोगों का व्यवहार बहुत सन्तुलित होता है, और समाज सम्मत होता है।
कुसमायोजित समायोजन :-
जो व्यक्ति अपनी आन्तरिक एवं बाह्य शक्तियों एवं माँगों में सन्तुलन नहीं बना पाते हैं, उन्हें कुसमायोजित व्यक्तित्व वाला व्यक्ति कहा जाता है। ऐसे व्यक्तियों का व्यवहार बड़ा असन्तुलित होता है, और इनका व्यवहार प्रायः असामाजिक भी होता है।
• पढ़िये व्यक्तित्व के सिद्धांत और उनके प्रतिपादक