मनुष्य के पूरे जीवन काल में अर्थात जन्म से मृत्यु तक विकास की प्रक्रिया सतत रूप से चलती रहती है और इस विकास की प्रक्रिया को सबसे ज्यादा जो कारक प्रभावित करते हैं उनमें से जैविक प्रभाव अर्थात वंशानुक्रम का प्रभाव और वातावरण का प्रभाव प्रमुख भूमिका निभाते हैं। [ पढ़िये वातावरण का अर्थ और परिभाषा ]
क्योंकि वंशानुक्रम का हमारे जीवन में सीधा प्रभाव पड़ता है। इसलिए इसकी महत्वत्ता और बढ़ जाती है। इस पोस्ट में हम आपको वंशानुक्रम का अर्थ और वंशानुक्रम की परिभाषा के बारे में बताएंगे।
वंशानुक्रम का अर्थ, वंशानुक्रम की परिभाषा और वंशानुक्रम का प्रभाव :-
किसी भी शिशु का विकास उसकी माँ के गर्भधारण की अवस्था से ही प्रारंभ हो जाता है, शिशु का ऐसा विकास जो उसके माता-पिता से संबंधित होता वंशानुक्रम कहलाता है।
वंशानुक्रम का अर्थ :-
वंशानुक्रम के नाम से ही आप उसके अर्थ का अंदाजा लगा सकते हैं वंशानुक्रम सीधे तौर पर वंश से संबंधित है अर्थात इसमें वंशानुक्रम में शिशु के विकास में माता पिता की भूमिका तो होती ही है साथ ही साथ शिशु के माता-पिता के माता-पिता की भी भूमिका होती है। इसीलिए इसका नाम वंशानुक्रम है, और मनुष्य के विकास में इसका प्रभाव पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ता रहता है।
सरल शब्दों में वंशानुक्रम का अर्थ :-
वंशानुक्रम का साधारण अर्थ में जैसे के तैसे से या समान के समान से मतलब जैसे माता-पिता होते हैं, उनकी सन्तान भी वैसी ही होती है।
वंशानुक्रम के अर्थ में भी कह सकते हैं कि जैसे जीव होते हैं, वे अपने ही जैसे जीवों को जन्म देते हैं। बालक के शारीरिक रूप-गुण अपने माता – पिता के अनुरूप होते हैं, ये वंशानुक्रम का ही एक उदाहरण है।
मनोवैज्ञानिकों का यह भी कहना है कि संतान अपने माता-पिता से शारीरिक गुणों के साथ-साथ मानसिक गुण भी प्राप्त करता है, लेकिन ऐसा जरूरी नहीं है, मतलब उदाहरण के तौर पे ऐसा जरूरी नही है कि मंद-बुद्धि माता-पिता की संतानें भी मंद-बुद्धि हों।
संतान शारीरिक एवं मानसिक गुण अपने माता-पिता अलावा उनके पूर्वजों से भी प्राप्त करता है। इस प्रक्रिया को आनुवंशिकता भी कहते हैं।
अगर बिल्कुल सरल शब्दों में कहें तो वंशानुक्रम का अर्थ सीधे तौर पर शिशु के जन्म और माता-पिता से संबंधित है।
वंशानुक्रम की परिभाषा :-
अलग-अलग मनोवैज्ञानिकों ने विभिन्न प्रकार से वंशानुक्रम की परिभाषाएँ दी हैं उनमें कुछ यहाँ दी गईं हैं :–
जे. ए. थाम्पसन के अनुसार वंशानुक्रम की परिभाषा
“वंशानुक्रम, क्रमबद्ध पीढ़ियों के बीच उत्पत्ति सम्बन्धी, सम्बन्ध के लिये सुविधाजनक शब्द है।”वुडवर्थ के अनुसार वंशानुक्रम की परिभाषा :-
“वंशानुक्रम में वे सभी बातें आ जाती हैं जो जीवन का आरम्भ करते समय व्यक्ति में उपस्थित थीं। ये जन्म के समय नहीं बल्कि गर्भाधान के समय जन्म से लगभग नौ माह पूर्व ही व्यक्ति में आने लगती हैं।”एच. ए. पेटरसन के अनुसार वंशानुक्रम को इस प्रकार परिभाषित किया जा सकता है
“व्यक्ति अपने माता पिता के माध्यम से पूर्वजों के जो कुछ गुण प्राप्त करता है, वही वंशानुक्रम कहलाता है।”जेम्स ड्रेवर के अनुसार वंशानुक्रम की परिभाषा
“माता – पिता की शारीरिक एवं मानसिक विशेषताओं का सन्तानों में संक्रमित होना ही वंशानुक्रम है।”बी. एन. झा के अनुसार वंशानुक्रम की परिभाषा :-
“वंशानुक्रम, व्यक्ति की जन्मजात विशेषताओं का पूर्ण योग है”पी. जिस्बर्ट के शब्दों में वंशानुक्रम की परिभाषा :-
“प्रकृति में प्रत्येक पीढ़ी का कार्य माता-पिता द्वारा सन्तानों में कुछ जैवकीय या मनोवैज्ञानिक विशेषताओं का हस्तान्तरण करना है। इस प्रकार हस्तांतरित विशेषताओं की मिली-जुली गठरी को वंशानुक्रम के नाम से पुकारा जाता है।”एन एनास्टमी के अनुसार वंशानुक्रम की परिभाषा
“वंशानुक्रम के तत्त्व जन्म के बहुत बाद तक व्यक्ति के विकास को प्रभावित कर सकते हैं, और वास्तव में यह प्रभाव जीवनपर्यन्त चलता है।”रूथ बेंडिक्ट के शब्दों में वंशानुक्रम की परिभाषा :-
“वंशानुक्रम माता-पिता से सन्तान को प्राप्त होने वाले गुणों का नाम है।”डगलस व हॉलैण्ड के अनुसार वंशानुक्रम की परिभाषा :-
“माता-पिता या अन्य पूर्वज या प्रजाति से प्राप्त समस्त शारीरिक रचनाएँ, विशेषताएँ, क्रियाएँ अथवा क्षमताएँ व्यक्ति के वंशानुक्रम में सम्मिलित रहती हैं।”इन दी गयीं परिभाषाओं से स्पष्ट है कि संतान को अपने माता-पिता से प्राप्त गुण के साथ-साथ उनके (माता-पिता) माध्यम से पूर्वजों के गुणों की प्राप्ति भी वंशानुक्रम के अन्तर्गत आती है।