संस्कृत और हिंदी व्याकरण में वर्णों का उच्चारण स्थान के आधार पर वर्गीकरण

इस पोस्ट हम आपको हिंदी और संस्कृत में उच्चारण स्थान के आधार पर वर्णों का वर्गीकरण के बारे में बताएंगे।

वर्णों के उच्चारण स्थान के सूत्र

  1. अकुहविसर्जनियाना कण्ठः
  2. इचुयशाना तालु
  3. ऋटुरषाणा मूर्धा
  4. लृतुलसाना दन्ताः
  5. उपूपध्मानियानाओष्ठो
  6. ञमङ्णनाना नासिका
  7. एदैतोः कण्ठतालु
  8. ओदोतो कण्ठोष्ठ्म्
  9. वकारस्य दन्तोष्ठम्
  10. जिह्वामूलक वर्ण
1. अकुहविसर्जनियाना कण्ठः6. ञमङ्णनाना नासिका
2. इचुयशाना तालु7. एदैतोः कण्ठतालु
3. ऋटुरषाणा मूर्धा8. ओदोतो कण्ठोष्ठ्म्
4. लृतुलसाना दन्ताः9. वकारस्य दन्तोष्ठम्
5. उपूपध्मानियानाओष्ठो10. जिह्वामूलक वर्ण

उच्चारण स्थान के आधार पर वर्ण ध्वनियों का वर्गीकरण

किसी भी वर्ण का उच्चारण करने पर हमारे मुख का कोई एक अंग विशेष रूप से सक्रिय हो जाता है, तो वही अंग उस वर्ण का उच्चारण स्थान मान लिया जाता है। इन उच्चारण स्थानों को हम निम्नलिखित सूत्रों के माध्यम से समझ सकते हैं–

1. कण्ठ ( कण्ठ्य वर्ण)– अकुहविसर्जनियाना कण्ठः

अर्थात्– अ, आ, क वर्ग, ह, और विसर्ग इत्यादि।

2. तालु (तालव्य वर्ण) – इचुयशाना तालु

अर्थात् – इ, ई, च वर्ग, य, श वर्ण इत्यादि।

3. मूर्धा (मूर्धन्य वर्ण)– ऋटुरषाणा मूर्धा

अर्थात्– ऋ , ट वर्ग, र , और ष वर्ण।

4. दन्त (दन्त वर्ण) – लृतुलसाना दन्ताः

अर्थात् – लृ , त वर्ग, ल और स वर्ण

5. ओष्ठ (ओष्ठ्य वर्ण)– उपूपध्मानियानाओष्ठो।

अर्थात्– उ, ऊ, प वर्ग, उपध्मानीय वर्ग (ॅ) अर्द्धविषर्ग

6. नासिका (नासिक्य वर्ण)– ञमङ्णनाना नासिका

इसमें प्रत्येक वर्ग का पांचवा वर्ण नासिक का वर्ण माना जाता है।
नोट :- प्रत्येेक वर्ग के ‌पांचवें वर्ण के दो-दो उच्चारण स्थान होते हैं, अर्थात् यह वर्ण अपने मूल उच्चारण स्थाान के साथ-साथ नासिका से भी उच्चारित होते हैं। यदि हमें इन्हीं दोनों में से किसी एक का चुनाव करना हो तो नासिका का का चुनाव सही माना जाएगा।

7. कण्ठतालु (कण्ठतालव्य वर्ण)– एदैतोः कण्ठतालु

अर्थात्– ए, ऐ (अ + इ)

8. कण्ठोष्ठ (कण्ठोष्ठ् वर्ण)– ओदोतो कण्ठोष्ठ्म्

अर्थात् – ओ, औ (अ + उ)

9. दन्तोष्ठ (दन्तोष्ठ्य वर्ण)– वकारस्य दन्तोष्ठम्

अर्थात् – व

10. जिह्वामूल (जिह्वामूलक वर्ण)– क़, ख़, ग़‌

नीचे दिए गए दोनों उच्चारण स्थान आधुनिक भाषा विद्वानों द्वारा स्वीकृत किए गए हैं।
काकल्य वर्ण – ह, अः
वत्स्र्य वर्ण – न, ल, स

वर्णों का उच्चारण स्थान के आधार पर वर्गीकरण
वर्णों का उच्चारण स्थान के आधार पर वर्गीकरण

उच्चारण स्थानों की संख्या :-

हमारे मुख में उच्चारण उपयोगी अवयवों की कुल संख्या आठ मानी जाती है।
अष्ठौ स्थानानि वर्णानामुरः कण्ठः शिरस्तथा ।
जिह्वामूलश्च दन्ताश्च नासिकोष्ठौ च तालु च ।।

1उर (ह्रदय)5दन्त
2कण्ठ6ओष्ठ
3तालु7नासिका
4मूर्धा8जिह्वामूल

करण

हमारे मुख में उपर्युक्त 8 स्थानों के अलावा भी कुछ ऐसे अवयव होते हैं, जो मूलतः तो उच्चारण स्थान तो नहीं होते हैं, परंतु उच्चारण करने में सहायता करते हैं। इन सहायक अंगों को ही करण कहा जाता है। जैसे जीभ, कोमलतालु, अधरोष्ठ, स्वरतंत्रियां आदि।


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3 thoughts on “संस्कृत और हिंदी व्याकरण में वर्णों का उच्चारण स्थान के आधार पर वर्गीकरण”

  1. आपका प्रयास सराहनीय है, ये सारी बातें मैंने पढ़ा हुआ है किन्तु आज सही अर्थो में दूहरा पाया हूँ आपका कोटिशः धन्यवाद… 💐🙏

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