सतत् एवं व्यापक मूल्यांकन की प्रक्रिया आर. टी. ई. 2009 के अनुसार शिक्षक प्रत्येक बच्चे के स्तर का आकलन करेंगे –
1. उनके स्तर एवं गति के अनुसार गतिविधि आधारित शिक्षण कराएँगे।
2. शिक्षण के दौरान ही प्रत्येक बच्चे का व्यापक आकलन सतत् रूप से करेंगे।
3. अभिभावकों को बच्चों की प्रगति, उपस्थिति आदि के बारे में नियमित बताएँगे।
सतत् एवं व्यापक मूल्यांकन में प्रयुक्त शब्दावली
शिक्षकों द्वारा अपनी कार्यशैली तथा मूल्यांकन पद्धति में बदलाव तथा बच्चों की प्रगति को दर्ज करने हेतु कई नये शब्दों से परिचित होना होगा। इस शब्दावली के कुछ प्रमुख शब्दों का वर्णन निम्न प्रकार है –
1. रचनात्मक आकलन बच्चों के कार्यों का निरन्तर अवलोकन करना और उसे दर्ज करते हुए उनके कार्य का मूल्यांकन करने का तरीका रचनात्मक आकलन है। इसमें कार्य को करते हुए शिक्षण अधिगम के दौरान बच्चों के सीखने को ग्रेड देते हुए टिप्पणी दर्ज की जाती है। यह प्रत्येक दो माह में एक बार किया जाता है।
2. योगात्मक आकलन एक निश्चित अवधि में बच्चों द्वारा सीखे गए समस्त पाठ्यक्रम का आकलन योगात्मक आकलन कहते हैं। इसमें प्रत्येक 5 माह में एक बार समस्त प्रमाणों के आधार पर बच्चे की समझ की स्थिति को दर्ज करते हैं।
3. पोर्टफोलियो समय की निश्चित अवधि में विद्यार्थी द्वारा किए गए कार्यों का संग्रह पोर्टफोलियो कहा जाता है। इसमें रोजमर्रा के काम हो सकते हैं या शिक्षार्थी के कार्य के उत्कृष्ट नमूने भी हो सकते हैं।
4. चेकलिस्ट यह बच्चे के किसी खास व्यवहार या क्रिया के बारे में सुव्यवस्थित तरीके से दर्ज की गई सूचनाओं का फॉर्म है। ये बच्चे के किसी भी खास पहलू की तरफ ध्यान आकर्षित करने में मदद करती है।
5. आधार रेखा मूल्यांकन बच्चे के स्तर के अनुरूप शिक्षण करवाने के लिए आवश्यक है कि उसके स्तर को जाने। अतः शिक्षण अधिगम मूल्यांकन से पूर्व बच्चे के शैक्षिक स्तर का पता लगाने के लिए किया जाता है।
6. मॉड्यूल एक वर्ष के पाठ्यक्रम को सुविधानुसार छोटे भागों में बाँटा जा सकता है। इसे दो भागों में बाँट कर प्रत्येक वर्ग के दो मॉड्यूल बनाये गए हैं।
• नि:शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा अधिकार अधिनियम – 2009 में विद्यालय के लिए तय मापदण्ड