वंशानुक्रम और वातावरण परस्पर रूप से एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। वंशानुक्रम और वातावरण एक दूसरे के पूरक हैं।
वंशानुक्रम मानव जीवन में एक बीज की तरह है, और वातावरण उस बीज को मिलने वाला खाद-पानी है।
लैण्डिस के अनुसार वंशानुक्रम एवं वातावरण का सम्बन्ध
उचित वातावरण के बिना वंशानुक्रम का कोई औचित्य नहीं है। लैण्डिस ने वंशानुक्रम और पर्यावरण के बीच सम्बंध के बारे में बताते हुए कहा है कि–
“ वंशानुक्रम हमें विकसित होने की क्षमताएँ प्रदान करता है । इन क्षमताओं के विकसित होने के अवसर हमें वातावरण से मिलते हैं , वंशानुक्रम हमें कार्यशील पूँजी देता है और परिस्थिति हमें इसको निवेश करने के अवसर प्रदान करती है ”
– लैण्डिस
मैकआइवर एवं पेज के अनुसार वंशानुक्रम एवं वातावरण का सम्बन्ध
मैकआइवर एवं पेज ने वंशानुक्रम एवं वातावरण, दोनों को जीवन के लिए महत्वपूर्ण माना है। मैकआइवर एवं पेज के अनुसार एक उत्तम जीवन जीने में वंशानुक्रम और पयार्वरण की अहम भूमिका है। मैकआइवर एवं पेज ने इसके बारे में कहा है कि–
जीवन की प्रत्येक घटना दोनों का “परिणाम होती है। किसी भी निश्चित परिणाम के लिये एक उतनी ही आवश्यक है जितनी कि दूसरी। कोई भी न तो हटाई जा सकती है और न ही कभी पृथक् की जा सकती है। ”
– मैकआइवर एवं पेज
वुडवर्थ और मारेक्विस के अनुसार वंशानुक्रम एवं वातावरण का सम्बन्ध
वुडवर्थ और मारेक्विस ने वंशानुक्रम एवं पयार्वरण के बीच संबंध को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा है कि–
“ व्यक्ति, वंशानुक्रम तथा वातावरण का योग नहीं, गुणनफल है। ”
– वुडवर्थ और मारेक्विस
विकास की किसी भी अवस्था में व्यक्ति की शारीरिक, मानसिक और संवेगात्मक विशेषताओं में वंशानुक्रम और वातावरण दोनों का प्रभाव पड़ता है।
लेकिन व्यक्ति के विकास और उसके जीवन में वंशानुक्रम और वातावरण में किसकी भूमिका ज्यादा है, इसमें विभिन्न मनोवैज्ञानिकों का हमेशा से ही अलग-अलग मत रहा है।
किसी मनोवैज्ञानिक ने जीवन में वंशानुक्रम की भूमिका को वातावरण से अधिक महत्वपूर्ण बताया है, और किसी ने वातावरण को, लेकिन इसमें कोई संदेह नहीं है कि जीवन में दोनों की भूमिका अहम है, और वंशानुक्रम और पयार्वरण के बीच गहरा संबंध है।
वंशानुक्रम और पयार्वरण के संबंध में क्रो का मत
क्रो ने वंशानुक्रम एवं पयार्वरण के बीच संबंध को बताने के लिए अपना मत देते हुए कहा है कि–
“ व्यक्ति का निर्माण न केवल वंशानुक्रम और न केवल वातावरण से होता है। वास्तव में वह जैविकदाय और सामाजिक विरासत के एकीकरण की उपज है। ”
– क्रो