1. शिक्षकों द्वारा अलग-अलग कक्षाओं में अलग-अलग विषयों का शिक्षण
ऐसे विद्यालय जहाँ शिक्षकों की संख्या आर. टी. ई. मानकों के अनुसार है, वहाँ जो शिक्षक कक्षा 1 को हिन्दी या अन्य विषय पढ़ाता हो, वही शिक्षक कक्षा 5 तक उसी विषय को पढ़ाए अर्थात् हिन्दी या अन्य विषय का शिक्षण सभी पाँच कक्षाओं में एक ही शिक्षक द्वारा किया जाए। जिन विद्यालयों में शिक्षकों की संख्या आर. टी. ई. मानकों से कम है, वहाँ कम से कम कक्षा 1 से 3 तक का एक विषय का शिक्षण एक ही अध्यापक द्वारा करवाया जाए तथा कक्षा 4 से 5 में किसी अन्य शिक्षक द्वारा वह विषय पढ़ाया जा सकता है।
उच्च प्राथमिक विद्यालयों में कक्षा 6 से 8 तक के शिक्षण के लिए विशेष अध्यापक लगाए जाते हैं। अतः विषय विशेष के अध्यापक द्वारा ही कक्षा 6 से 8 तक का शिक्षण सुनिश्चित किया जाए। यदि शिक्षकों की उपलब्धता विषयवार नहीं है या एक शिक्षक द्वारा एक से अधिक विषयों का शिक्षण करवाया जाता है, तो भी यह प्रयास किया जाए कि कम से कम कक्षा 6 से 8 तक की कक्षाओं में एक विषय का शिक्षण एक ही अध्यापक द्वारा करवाया जाए
2. कक्षाओं में शिक्षकों द्वारा मोबाइल फोन लेकर जाना
प्रायः देखने में आया है कि शिक्षकों द्वारा कक्षागत शिक्षण के दौरान मोबाइल फोन का उपयोग अक्सर किया जाता है, जिससे कक्षा में शैक्षिक वातावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। अतः सभी शिक्षकों को निर्देशित किया जाता है कि शिक्षण के दौरान वे अपने मोबाइल फोन का उपयोग नहीं करे। इस सन्दर्भ में पूर्व में भी विभाग द्वारा निर्देश जारी किए जा चुके हैं।
3. शिक्षण में पासबुक का उपयोग होना
यह भी सामने आया है कि विद्यालयों में छात्र-छात्राओं तथा शिक्षकों के पास पासबुक होती है, जिसका उपयोग वे कक्षा में पठन-पाठन कार्य में करते हैं। सभी शिक्षकों तथा संस्था प्रधानों को निर्देशित किया जाता है कि शिक्षण कार्य मूल रूप से पाठ्यपुस्तकों एवं अन्य टीएलएम के आधार पर ही करवाया जाए। कक्षा में पासबुक के उपयोग पर रोक लगावें।
4. 45 दिन से अधिक की अनुपस्थिति के बावजूद छात्र-छात्राओं को ड्रॉप-आउट नहीं करना
45 दिन से अधिक समय तक अनुपस्थित रहने वाले छात्र-छात्राओं के सम्बन्ध में दिए गए दिशा-निर्देश निम्न प्रकार है –
1. सम्बलन कार्य के दौरान अधिकारियों ने पाया कि कुछ विद्यालयों में कुछ छात्र-छात्राओं के नाम लगातार अनुपस्थिति रहने के बावजूद भी उपस्थिति रजिस्टर में चल रहे हैं। इन छात्र-छात्राओं की लगातार 45 दिनों से अधिक अनुपस्थिति के बावजूद भी संस्था द्वारा उन्हें ड्रॉप-आउट घोषित नहीं किया गया है। सभी सम्बन्धित लोगों को निर्देशित किया जाता है कि यदि कोई बालक बालिका विद्यालय में लगातार 45 दिन अनुपस्थित रहता है, तो नियमानुसार उसका नाम पृथक् कर उसे ड्रॉप आउट की श्रेणी में रखें। अनुपस्थिति के 45 दिनों की गणना में, अनुपस्थिति अवधि के समस्त अवकाश भी सम्मिलित होंगे।
2. यह भी ध्यान में आया है कि कुछ विद्यालयों में लगातार अनुपस्थित चल रहे छात्र-छात्रा ड्रॉप आउट होने की अवधि से पूर्व ही एक या दो दिन के लिए उपस्थित होकर लम्बी अवधि के लिए पुनः अनुपस्थित हो जाते हैं। ज्ञातव्य हो कि राजस्थान सरकार के परिपत्र 8 अक्टूबर, 2012 (प्रारम्भिक शिक्षा एवं कक्षोन्नति नियम) के नियम 2.2 (2) के अनुसार कक्षा-क्रमोन्नति के लिए विद्यार्थी की 70 प्रतिशत उपस्थिति होना अनिवार्य है। न्यून उपस्थिति की स्थिति में विद्यार्थी को ड्रॉप आउट मानते हुए आयु अनुरूप पुनः प्रवेश की कार्यवाही की जाकर उसे विशेष प्रशिक्षण के माध्यम से उस कक्षा के स्तर तक लाया जाएगा।
3. उपर्युक्त बिन्दु 1 व 2 में वर्णित दिशा-निर्देश सीसीई विद्यालयों एवं कस्तूरबा गाँधी बालिका विद्यालयों में अध्ययनरत बालक एवं बालिकाओं पर भी लागू होंगे।
• नि:शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा अधिकार अधिनियम – 2009 में सतत् एवं व्यापक मूल्यांकन के लिए दिशानिर्देश