निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा अधिकार अधिनियम – 2009 के अन्तर्गत निम्नलिखित सात अध्याय सम्मिलित हैं –
अध्याय – 1
निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा अधिकार अधिनियम – 2009 के पहले अध्याय में अधिनियम का संक्षिप्त नाम, विस्तार एवं प्रारम्भ सम्मिलित हैं तथा दो परिभाषाएँ भी दी गई है।
अध्याय – 2
निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा अधिकार अधिनियम – 2009 के दूसरे अध्याय के अन्तर्गत 6 से 14 वर्ष की आयु के बालकों की निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार, अन्य विद्यालय में स्थानान्तरण का अधिकार तथा प्रवेश न दिए गए बालकों के लिए विशेष उपबन्धों का वर्णन किया गया है।
अध्याय – 3
निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा अधिकार अधिनियम – 2009 के तीसरे अध्याय में सरकार, स्थानीय प्राधिकारी और माता पिता के कर्त्तव्य सम्मिलित हैं।
अध्याय – 4
निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा अधिकार अधिनियम – 2009 के चौथे अध्याय में विद्यालय और शिक्षकों के उत्तरदायित्व का वर्णन किया गया है।
अध्याय – 5
निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा अधिकार अधिनियम – 2009 के पांचवे अध्याय में प्रारम्भिक शिक्षा के पाठ्यक्रम और उसके पूरा किए जाने के सम्बन्ध में वर्णन किया गया है।
अध्याय – 6
निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा अधिकार अधिनियम – 2009 के छठे अध्याय में बालकों के अधिकारों के संरक्षण का प्रावधान है।
अध्याय – 7
सातवें अध्याय के अन्तर्गत निर्देश जारी करने की शक्ति, अभियोजन के लिए पूर्व मन्जूरी, समुचित सरकार के साथ नियम बनाने की शक्ति एवं सद्भावपूर्ण की गई कार्यवाही के लिए संरक्षण आदि विषय सम्मिलित किए गये हैं।
निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा अधिकार अधिनियम – 2009 की धाराएँ एवं नियम
निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा अधिकार अधिनियम, 2009 में कुछ धाराओं का प्रावधान किया गया है, जिनके अंतर्गत कुछ नियम निर्धारित किए गये हैं, जो कि निम्नलिखित हैं –
धारा 3
निःशुल्क व अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार 6 से 14 वर्ष तक की आयु के बच्चे को पहली से 8वीं कक्षा तक का प्रावधान।
धारा 4
6 से अधिक आयु के बालकों को जिन्हें विद्यालय में प्रवेश नहीं दिया गया, के लिए विशेष उपबन्ध।
धारा 5
बालकों को अन्य विद्यालयों में स्थानान्तरण का अधिकार होता है।
धारा 6
3 वर्ष के भीतर स्कूल का बुनियादी ढाँचा तैयार करना होगा। निर्धारित सीमा में विद्यालय स्थापित होना चाहिए।
धारा 12
दुर्बल एवं अलाभित समूह के लिए नजदीकी निजी विद्यालय में 25 प्रतिशत आरक्षण दिया जाएगा।
धारा 15
बालक प्रारम्भ में अथवा विहित समय 6 माह तक कभी भी विद्यालय में प्रवेश ले सकता है।
धारा 16
किसी विद्यालय द्वारा बालक को किसी कक्षा में प्रवेश लेने से रोका नहीं जाएगा और न ही निष्कासित किया जाएगा।
धारा 19
विद्यालय को मान्यता प्रदान करता है, इसमें नियम है।
धारा 21
प्रत्येक विद्यालय एक विद्यालय समिति का गठन करेगा। समिति में कम से कम तीन चौथाई सदस्य माता – पिता या संरक्षक होंगे, 50 प्रतिशत स्त्रियाँ समिति की सदस्य होंगी। इसके सदस्य बालकों के माता-पिता या संरक्षक और शिक्षकों के निर्वाचित प्रतिनिधि सदस्य होंगे।
धारा 22
प्रत्येक विद्यालय प्रबन्ध समिति एक विद्यालय विकास योजना बनाएगी।
धारा 23
धारा 23 की उपधारा 1 के अनुसार नियुक्त शिक्षक विद्यालय में उपस्थित होने में नियमितता और समय पालन करेगा।
धारा 27
शिक्षक को किसी गैर-शैक्षिक प्रयोजन के लिए अभिनियोजित नहीं किया जाएगा, जनगणना, आपदा राहत, चुनावी प्रक्रिया से अतिरिक्त।
धारा 28
कोई भी शिक्षक प्राइवेट ट्यूशन या शिक्षण कार्य नहीं करेगा। किसी विद्यालय में शिक्षकों के रिक्त पद कुल स्वीकृत पद संख्या के 10 प्रतिशत से अधिक नहीं होंगे।
धारा 29
धारा 29 की उपधारा 2 के प्रावधान के अनुसार पाठ्यक्रम संचालित करना, उसे पूरा करना।
धारा 30
बालक को कोई बोर्ड परीक्षा उत्तीर्ण करना आवश्यक नहीं होगा। प्रत्येक बालक को प्रारम्भिक परीक्षा पूर्ण करने का, विहित प्रारूप में एक प्रमाण-पत्र दिया जाएगा।
धारा 33
इसके तहत केन्द्र सरकार एक राष्ट्रीय सलाहकार परिषद् का तथा राज्य सरकार एक राज्य सलाहकार परिषद् का गठन करेगी, जिसमें सदस्य संख्या अधिकतम 15 होगी।
. नि:शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा अधिकार अधिनियम – 2009 में शिक्षकों की भूमिका एवं दायित्व