शैक्षिक मापन शिक्षण प्रक्रिया का एक बहुत ही महत्वपूर्ण अंग है। इस पोस्ट पर हम आपको बताएंगे कि शैक्षिक मापन क्या है? शैक्षिक मापन का अर्थ क्या है? गुणात्मक और मात्रात्मक मापन क्या है? गुणात्मक और मात्रात्मक मापन में क्या अंतर हैं? मापन के क्या लाभ हैं? तो आइए पढ़ते इनके बारे में और समझते हैं शैक्षिक मापन की अवधारणा को जिससे आपको शैक्षिक मापन को समझने में सरलता होगी।
- शैक्षिक मापन क्या है?
- गुणात्मक और मात्रात्मक मापन में अंतर
- शैक्षिक मापन का अर्थ
- शैक्षिक मापन के क्या लाभ हैं?
शिक्षा लगातार या सतत रूप से चलने वाली एक गत्यात्मक प्रक्रिया है। गत्यात्मक होने के कारण शिक्षा का स्वरूप समय के साथ-साथ विभिन्न परिस्थितियों में बदलता रहता है।
इसीलिए शिक्षा इस लगातार बदलते स्वरूप के कारण इससे जुड़े हुए शिक्षाशास्त्री, शिक्षक, प्रधानाचार्य, अभिभावक, छात्र आदि के सामने हमेशा विभिन्न चुनौतियां और समस्याएं आती रहती हैं। इन समस्याओं के निस्तारण के लिए उचित निर्णय लेने के लिए समस्या की उचित जानकारी होना भी आवश्यक है।
शैक्षिक मापन क्या है?
शिक्षा के अन्तर्गत यदि हम किसी छात्र के ज्ञान को मापने के गणितीय इकाइयों का प्रयोग करते हैं, तो वह शैक्षिक मापन कहलाता है। शिक्षा के क्षेत्र में किए जाने वाले सभी प्रकार के मापन शैक्षिक मापन के अर्न्तगत आते हैं।
शैक्षिक मापन के अंतर्गत छात्रों की शैक्षिक उपलब्धि के अतिरिक्त उनकी बुद्धि, याद करने की क्षमता, व्यक्तित्व, रुचि, सीखने की तरीके आदि अनेक चीजों का मापन किया जाता है।
शैक्षिक मापन में छात्रों के अलावा अध्यापक, शैक्षिक कार्य से जुड़े हुए अन्य कर्मचारी वर्ग, अभिभावक, समाज के लोग आदि लोगों का भी शिक्षा की प्रक्रिया से गहरा संबंध होता है।
गुणात्मक और मात्रात्मक मापन में अंतर :-
शैक्षिक मापन के अंतर्गत शैक्षिक प्रक्रिया से जुड़े हुए सभी प्रकार के व्यक्तियों वस्तुओं उनके गुणों और उनकी विशेषताओं का वर्णन किया जाता है। उनके इन गुणों या विशेषताओं का वर्णन गुणात्मक या मात्रात्मक कुछ भी हो सकता है।
जैसे व्यक्तियों को उनके लिंग के आधार पर पुरुष या महिला कहना गुणात्मक मापन का एक उदाहरण है। किसी गुण या विशेषता के मात्रात्मक वर्णन में व्यक्ति या वस्तु में उपस्थित गुण या विशेषता की मात्रा को बताया जाता है। जैसे- नेहा की लम्बाई 5 फुट 5 इंच है यह मात्रात्मक मापन का एक उदाहरण है।
शैक्षिक मापन का अर्थ :-
शैक्षिक मापन के अर्थ के बारे में विभिन्न विद्वानों ने अपने मत रखें जिनमें से कुछ नीचे दिए गए हैं–
एस.स्टीवेन्स के अनुसार शैक्षिक मापन का अर्थ :-
मापन किन्हीं स्वीकृत नियमों के अनुसार वस्तुओं को अंक प्रदान करने की प्रक्रिया है‘
– एस.स्टीवेन्स
मैरिसन के अनुसार शैक्षिक मापन का अर्थ :-
’’मापन मूल रूप से एक भाग के रूप में उस प्रक्रिया से सम्बन्धित है जिसके द्वारा शिक्षक, छात्र की किसी विशेषता को संख्यात्मक रूप प्रदान करता है।‘‘
– मैरिसन
रिचर्ड एच.लिन्डेमैन के अनुसार शैक्षिक मापन का अर्थ :-
’’मापन को किसी मान्य नियमों के अनुरूप व्यक्तियों तथा वस्तुओं के किसी समुच्चय के प्रत्येक तत्व को अंकों के किसी समुच्चय से एक अंक आबंटित करने के रूप में परिभाषित किया जा सकता है।’’
– रिचर्ड एच.लिन्डेमैन
शैक्षिक मापन के क्या लाभ हैं?
शैक्षिक मापन का शिक्षा के क्षेत्र में बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है शैक्षिक मापन से होने वाले लाभों के बारे में नीचे विस्तार से बताया गया है–
शिक्षा में छात्रों, शिक्षकों, अभिभावकों एवं समाज के लिए मापन का अत्यधिक महत्व है। मापन की सहायता से छात्रों को अपने शैक्षिक ज्ञान की मात्रा का पता चलता है जिससे उसके अंदर प्रेरणा, आत्म विश्वास एवं प्रतियोगिता की भावना पैदा होती है और साथ ही साथ अपनी कमियों का भी पता चलता है।
मापन प्रक्रिया शिक्षकों के लिये भी उतनी ही महत्वपूर्ण है, जितनी की विद्यार्थियों के लिए। शैक्षिक मापन के माध्यम से शिक्षक को विषय के पाठ्यक्रम और पढ़ाने की योजना शिक्षण सामग्री आदि में कमी पता करने और उनमें परिवर्तन करने में सहयोग मिलता है।
शैक्षिक मापन के सहयोग से छात्रों के माता पिता व परिवार के सदस्य उसकी शैक्षिक प्रगति, रुचि, योग्यता, क्षमता, व्यक्तित्व, कमियों आदि के बारे में पता चलता है, जिसके माध्यम से अभिभावक छात्रों की कमियों को दूर करने का प्रयास करते हैं।
शैक्षिक मापन से मिली जानकारियों का प्रयोग करते शिक्षा की नीति तय करने वाले अधिकारियों को भी शिक्षा की नीति और उन्हें शिक्षा व्यवस्था में लागू करने में मदद मिलती है।